आज के इस आर्टिकल में हम खगोलीय पिंड के बारे में जानेंगे और साथ ही चंद्रमा और अन्य ग्रहों के बारे में भी इस आर्टिकल में आपको जानकारी मिलेगी चलिए अब जानते हैं खगोलीय पिंड के बारे में कि खगोलीय पिंड क्या होते हैं
चंद्रमा
चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक स्थित खगोलीय पिंड है पृथ्वी और चंद्रमा का जोड़ा अंतरिक्ष में साथ- साथ विचरण करता है जहां चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है तथा स्वयं पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है
चंद्रमा रात्रि मैं आकाश में दिखाई देता है तथा यह आकाश में दिखाई देने वाले अन्य किसी भी पिंड से बहुत अधिक बड़ा तथा चमकदार है चंद्रमा का अपना कोई प्रकाश नहीं होता है लेकिन यह सूरज की परावर्तित रोशनी के द्वारा चमकता है क्योंकि यह हमारे ग्रह के चारों ओर घूमता है अतः हमें चंद्रमा के सूर्य से प्रकाशित भाग का परिवर्तनशील भाग अथवा प्रावस्था दिखाई देती है
पृथ्वी का उपग्रह: चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह हैं अधिकांश चंद्रमा अपने जनक ग्रह से बहुत छोटे होते हैं लेकिन हमारा चंद्रमा अपेक्षाकृत बड़ा है जिसका व्यास पृथ्वी के व्यास का एक चौथाई है यह इतना बड़ा है कि पृथ्वी को एक दोहरे ग्रह तंत्र के रूप में भी विचार किया जा सकता है
चंद्रमा की प्रवस्थाए क्या है?
चंद्रमा की भांति चंद्रमा के आधे भाग में भी सदैव सूर्य का प्रकाश रहता है जबकि दूसरे में अंधकार रहता है जब चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है तो इसका आकार बदलता हुआ दिखाई देता है क्योंकि हमें इसे सूर्य के प्रकाशित भाग कि बिन मात्राएं अथवा प्रवस्थाए दिखाई पड़ती है प्रवस्थाए एक चक्कर में होती हैं
अमावस्या जब उसका अंधेरा पक्ष हमारी तरफ होता है, से लेकर चंद्रमा यानी पूर्णिमा तक जब हमें पूर्णता सूरत से प्रकाशित भाग दिखाई पड़ता है और फिर वापस नव चंद्र की ओर अग्रसर हो जाता है
चंद्र प्रभाव क्या है?
यद्यपि चंद्रमा पृथ्वी से कहीं छोटा है फिर भी अपने बड़े साथी पर इसका प्रभाव पड़ता है जैसे पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण चंद्रमा को खींचता है ठीक उसी प्रकार चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण भी पृथ्वी को खींचता है
जो उसको हल्का सा अंडाकार कर देता है यह विरूपण करता है लेकिन यह महासागरों को ग्रह के दोनों और बाहर देता है जिससे समुद्र तटों पर जो आप आ जाते हैं जो फिर पृथ्वी के घूमने की गति को तथा पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी को प्रभावित करते हैं
चंद्रमा की सतह के बारे में जानकारी
चंद्रमा पर दो विविक्त कारी भू दृश्य दिखाई पड़ते हैं गहरे धूसर मैदान तथा अपेक्षाकृत हल्के रंग के पहाड़ तथा असंख्य पर्वतों से गिरे, पर्वत चंद्रमा के पटेल के सबसे प्राचीन भाग हैं चिकने मैदान बड़े गर्त हैं
जोकि लावा से भरे हुए हैं इनमें अक्सर कुछ छोटे तथा अधिक नए गणित बनते रहते हैं जो कि सामान्य था पहाड़ों द्वारा घिरे हुए हैं
चंद्रमा का अन्वेषण क्या है?
सैकड़ों बरसों से लोग चंद्रमा के अन्वेषण का सपना देख रहे हैं बीसवीं शताब्दी के मध्य में अमेरिका तथा रूस ने इस सपने को सच कर दिया था 1959 ईस्वी में लूना 1 जो कि पहला अंतरिक्ष यान था पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण को छोड़कर पार कर गया था, चंद्रमा की ओर भेजा गया इसके बाद एक दशक तक इसकी अंतरिक्ष गतिविधियां जारी रही क्योंकि रूसी तथा अमेरिकी खोजकर्ता रोबोट तथा अंतरिक्ष यात्रियों के दल सहित यादों को चंद्रमा की सतह की पड़ताल करने तथा वहां उतरने के लिए भेजा गया
लूना-2 ऐसा पहला अंतरिक्ष यान था जिसने 1959 ईस्वी में चंद्रमा की सतह को स्पर्श किया तथा अगले महीने लूना-3 वहां के पहले चित्र लिए थे 1966 में इसी क्रम का लूना 9 चंद्रमा की सतह से पहले दूरदर्शन पर देखे जाने वाले चित्र भेजें
अपोलो कार्यक्रम क्या है?
सन 1961 में अमेरिका ने अपोलो कार्यक्रम की शुरुआत की के दशक के अंत तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजा जाए इसके लिए एक शक्तिशाली रॉकेट बनाया गया जिसका नाम Saturn V को बनाया गया
शुरुआती अपोलो मिशन में संभावित यात्रा के विभिन्न भागों के लिए इसका उपयोग करके देखा गया था तथा सन 1969 में अपोलो 11 से आरंभ करने के बाद, चंद्रमा पर 6 मिशन भेजे जा चुके थे 12 अंतरिक्ष यात्रियों ने उसका अन्वेषण करके उसकी सतह के फोटोग्राफ लिए वहां से 388 किलोग्राम पत्थर तथा मृदा विश्लेषण के लिए पृथ्वी लेकर आए सन 1969 में वैज्ञानिक नील आर्मस्ट्रांग चंद्रमा पर कदम रखने वाले प्रथम व्यक्ति बने
चंद्रमा का निकटस्थ तथा दूरस्थ भाग क्या है?
चंद्रमा के निकटस्थ भाग : वह भाग जो पृथ्वी के और होता है यह गहरे गड्ढे हैं जिन्हें खगोल शास्त्री पहले समुद्र समझते थे जितने भी अंतरिक्ष यान चंद्रमा के पास जाते हैं वह सबसे पहले किसी भाग में उतरते हैं
चंद्रमा के दूरस्थ भाग: यह बात हमेशा पृथ्वी से दूर रहता है सन 1959 तकिया रेस बना हुआ था कि यह कैसा दिखाई देता है और कैसा है जब तक कि एक रूसी स्पेस लूणा-3 चंद्रमा के पिछले दूरस्थ माह की यात्रा करने तथा उसके फोटोग्राफ पृथ्वी और भेजने में सफल नहीं हुआ था दूरस्थ भाग में भी बहुत अधिक गड्ढे हैं खगोल शास्त्रियों आज तक परेशान है कि ऐसा आखिर है क्यों